Tuesday 2 August 2016

Ramoji Film City- Fundustan and ToyLand

              हैदराबाद श्रृंखला का प्रारम्भ करते हैं सितम्बर,2011 से।तब अपना ही घर था वहां तो सेन्डविच और चाय का नाश्ता कर के सुबह नौ बजे घर से निकल पडे । गाड़ी नहीं होने की वजह से या तो ट्रेन से घुमा जा सकता था या फिर बस द्वारा।हम लोगों को बस से घूमना ज्यादा उचित लगा तो बस का पास ले लिया। हैदराबाद की बस सेवा बहुत अच्छी लगी।यहाँ हमें कहीं पर भी ज्यादा से ज्यादा ५ से १० मिनट रुकना पड़ा और सभी बसों में किस स्टॉप से कौन सी गाड़ी ले भी अच्छे से बता रहे थे। कुल मिलाकर बस से घुमने में बहुत मजा आया। रामूजी अगर घूमना हो तो वहां पूरा दिन ले कर के जाना सही होता है। रामूजी फिल्म सिटी दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म सिटी है, और इसका नाम गिनिज बुक में भी दर्ज है। बचपन में एक बार ऑफिसियल वर्क के लिए मेरे पापा का वहां जाना हुआ तो काफी सुना था उनसे यहाँ के बारे में, तो कई सालों से देखने का मन था और अब देखने का मौका भी मिल ही गया।

         रामोजी फ़िल्म सिटी हैदराबाद- विजयवाड़ा    राष्टीय राजमार्ग पर शहर से २५ किमी की दूरी पर है। दो- तीन बस बदल कर हम गेट तक पहुँच गए। करीब दो हजार एकड़ एरिया में फैली हुयी इस फिल्म सिटी का निर्माण अमेरिका के यूनिवर्सल स्टूडियो की तर्ज पर दक्षिण भारत के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता रामोजी राव ने १९९६ से इसका निर्माण फिल्मो की शूटिंग के लिए कराया था। ऐसा माना जाता है यहाँ फिल्म निर्माता कहानी लेकर आते हैं और उसके बाद पिक्चर बना के  जाते हैं। फिल्म निर्माण केलिए प्रयुक्त होने के साथ साथ बाद में इसे पर्यटकों के लिए भी खोल दिया गया।पर्यटकों को रिझाने के  बहुत कुछ है। कम से कम पचास तरह के तो गार्डन ही होंगे। उसके अतिरिक्त मुग़ल गार्डन, हवा महल और भारत के अन्य दर्शनीय स्थलों की झलक भी जगह में दिखाई पड़ जाती है। कुछ जगहों पर तो ऐसा लगता है जैसे हम भारत में है ही नहीं,किसी विदेशी धरती में घूम रहे हैं। इसके अतिरिक्त ढेर सारे फिल्मो में प्रयुक्त होने वाले सेट जैसे हॉस्पिटल, मंदिर,गांव ,स्कुल। यहाँ के  मंदिर तो ऐसे होते हैं जिनमे फिल्म के क्लामेक्स के हिसाब से भगवान को बदल दिया जाता है।  सच पूछो तो ऐसी कोई चीज नहीं है जो यहाँ पर ना हो। यहाँ पर पिक्चर में होने वाले उन स्टंटों की शूटिंग भी दिखाई जाती है  जिन्हें देखकर हम डर जाते हैं, आज यहाँ  आ कर उनकी वास्तविकता का अंदाज हुआ कि किस तरह फिल्म निर्माता दर्शकों को बेवकूफ बनाते हैं। 
          इसके बाद का रास्ता रामूजी द्वारा प्रदान की गयी बस से ही तय कर सकते हैं। जिसके इन्तजार में हम से पहले से ही कई पर्यटक लाइन लगाये हुए खड़े थे। पूरा एक घंटा लगा इन्तजार करने में  और यहाँ से  रामूजी के मुख्य गेट तक पहुँचने में १० मिनट।अब बारी आई  टिकट लेने की। रामूजी के गाइडेड टूर का टिकट बड़ों के लिए छह: सौ रुपया और तीन से बारह वर्ष तक के बच्चों के लिए पांच सौ रुपया है। ये दो साल पुराने सन २०११  के रेट हैं ,अब तक कुछ बढ़ोत्तरी हो ही गयी होगी। वैसे २०१५ में बड़ो का टिकट नौ सौ रूपये था । टिकट बुकिंग का समय सुबह ९ बजे से दोपहर दो बजे तक तथा भ्रमण के लिए सिटी के अन्दर होने का  समय साढ़े चार बजे तक का है। दो टिकट लेकर  हमअन्दर हो लिए। गेट के अन्दर पहुँचते ही सामने से फंडूस्तान दिखाई दिया जो की बस द्वारा प्रदत्त गाइडेड टूर के लिए बोर्डिंग स्थान के पीछे है। वैसे तो ये जगह बच्चों के साथ साथ बड़ों के लिए भी आनंददायक है, पर अगर साथ में बच्चे हों तो जाना खतरे से खाली नहीं है, क्यूंकि फिर वो वहां से हिलने का नाम नहीं लेंगे और बाकि की जगह देखना रह जायेगा। वैसे इन जगहों को देख कर किसी का भी दिल बच्चा बनने को मजबूर हो जाये तो हम क्या चीज थे। यहीं पर हमने आधा घंटा लगा दिया। 
              रामूजी अपने आप में एक विशाल परिसर है, जिसे एक दिन में पूरा देखना किसी भी हालत में संभव नहीं है। इसलिए यहाँ घुमने के लिए और देखने की जगहों के बारे में पहले सूक्ष्म रूप में जानकारी लेना उचित रहता है। जिससे अपने पसंद की चीजों को पहले देख सके। यहाँ पर उपस्थित स्थलों और कार्यकमो की जानकारी -
  १- फंडूस्तान 
  २ -खिलोनो की दुनिया 
  ३ -मूवी मैजिक (रामूजी टावर, एक्शन शो, स्टंट शो)
  ४ -फ़िल्मी दुनिया( सिल्वर स्क्रीन)
  ५ -यूरेका (eureka) 
  ६ -स्प्रिट ऑफ़ रामूजी शो: अलम्पना थिएटर -यहाँ पर कुछ राइड्स हैं जैसे जिनमे से  थ्रिल राइड्स,सुपर जेट,ब्रेक डांस।
                यहाँ पर बाहर से खाना लाने की अनुमति नहीं रहती है।  मतलब भूख लगने पर यहाँ के रेस्टोरेंट में ही पेट पूजा करनी पड़ती है और अपने बजट के हिसाब से जगह का चुनाव करना पड़ता है नहीं तो जेब में बड़ा वाला छेद हो सकता है। 
              अब बारी है फंडूस्तान की, बस से उतरते ही हम यहाँ कदम रखते हैं यही वो जगह है। यहाँ का आकर्षण जितना बच्चों में है उतना ही बड़ों में भी है।यहाँ पर बच्चों के देखने और खेलने के लिए इतना कुछ है कि उनके लिए पूरा दिन भी कम पड़ जाये।यहाँ पर बच्चों के लिए क्या है पूछने की जगह क्या नहीं है पूछना ज्यादा उचित है। कहीं पर विडियो गेम पार्लर तो कहीं टोय लैंड कहीं पर लगे हुए बड़े बड़े झूले, तो रंगीन कलाकृतियों से भरी हुयी सुन्दर सी दीवारे। मतलब यहाँ नजर डालो वहीँ रुक थम जाओ।
             थोडा आगे बढ़ने  पर ही दिखाई देती है एक खड़ी हुई ट्रेन। जो की ट्रेन न हो कर के जलपान गृह है, फिर नजर आता है नाचता हुआ फाउंटेन जो कि बच्चों का प्रमुख आकर्षण है। फिर कहीं पर दिखते हैं बाल हनुमान तो कहीं पर दस सर वाला रावण। उसके बाद देखिये ये तिलस्मी दरवाजा दरवाजा जिससे बाहर  निकलने के बाद भी मन में डरावने सफ़र की यादें बरकरार रहती हैं। कहीं पर भूतों की आवाजें, तो कहीं पर अँधेरा,कहीं पर अनजान से रास्ते जिन्हें देखने पर लगता है कि गिरना तो पक्का ही है।











                       
जादुई दरवाजा 
अन्दर का रास्ता 
          यहाँ के बाद आपको ले चले हैं खिलोनों की दुनिया, यानि कि टॉय लैंड। यहाँ पर टिकट के मूल्य के हिसाब से वेटिंग टाइम होता है।यहाँ पर बने देसी विदेशी गुड्डे गुड़ियों को देखने के लिए बहुत देर तक लाइन में लगने के बाद मिलता ट्रेन में बैठने का मौका। जो इन्हें देखने का जरिया है और इसमें लाइन में लगने से आई थकान भी मिट जाती है।यहाँ पर ट्रेन में बैठे बैठे हम न्यू-यॉर्क से ले के इटली, पेरिस सब जगह  का सफ़र कर लेते हैं। यहाँ कहीं पर  बच्चे देखते हैं तो कहीं पर महिलाएं, कहीं गाँव का द्रश्य है तो कहीं शहरों का, कहीं मेल है तो कहीं मूवी शूट करता कैमरामेन, कहीं रजा रानी हैं तो कहीं सैनिक।आप भी देखिये-






        
मुख्य गेट

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8 comments:

  1. रामो जी फ़िल्मसिटी सैर करा दी आपने तो फ्री में।टिकिट के 600 रूपए भी बच गए।बहुत बढ़िया पोस्ट

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    1. 600 नहीं 900 बचाये हैं,2015 में हम 900 दे के गए थे।

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  2. बहुत खूब। दुबारा सैर करवा दी।

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  3. mei almost Hyderabad guma hua hun , sirf ramoji film city dekhna baki hai.

    Thanks for sharing !

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  4. जगह तो जोरदार है देखनी पड़ेगी ।यानी की जेब में बड़ा सा छेद तो करना ही पड़ेगा ।

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  5. रामो जी फिल्म सिटी घुमाने के लिए आभार। वाकई बडे भी बच्चे बन जाते होगे इतना सब देखकर।
    फोटो अच्छे है

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  6. इतनी सारी चीजें , इतने सारे नए नए खिलौने एक जगह ! वाह ! इससे बेहतर और क्या हो सकता है ? शानदार चित्र

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  7. नहीं तो जेब में बड़ा वाला छेद हो सकता है...हा हा हा मस्त। शानदार...जबकि मैंने वृतान्त उल्टे से पढ़ा लेकिन खूब मजा आया। साधुवाद आपको।

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